कक्षा 10 सीबीएसई - हिंदी (अ)
प्रस्तुत यात्रा वृत्तांत 'साना-साना हाथ जोड़ि' प्रसिद्ध लेखिका मधु कांकरिया द्वारा रचित है। इस पाठ में लेखिका ने सिक्किम की राजधानी गंगटोक से लेकर हिमालय की यात्रा का सुंदर और मार्मिक वर्णन किया है। यह पाठ केवल प्रकृति के अनुपम सौंदर्य का चित्रण नहीं करता, बल्कि हिमालय की दुर्गम यात्राओं में जीवन यापन करने वाले लोगों के संघर्ष, उनकी मेहनत और उनके आध्यात्मिक विश्वासों को भी उजागर करता है।
पाठ की शुरुआत गंगटोक की सुबह से होती है, जहाँ लेखिका एक नेपाली युवती को 'साना-साना हाथ जोड़ि' (छोटे-छोटे हाथ जोड़कर) प्रार्थना करते हुए देखती हैं। यह प्रार्थना उनके मन में एक गहरी शांति भर देती है। लेखिका गंगटोक की सुंदरता, रात में जगमगाते शहर और सुबह की पवित्रता से मंत्रमुग्ध हो जाती हैं।
लेखिका अपनी यात्रा आगे बढ़ाती हैं और हिमालय के विराट और भव्य रूप को देखती हैं। रास्ते में उन्हें तीस्ता नदी, झरने, फूल और रंग-बिरंगे प्रार्थना ध्वज (प्रेयर फ्लैग्स) दिखाई देते हैं। ये ध्वज शांति और अहिंसा के प्रतीक हैं। वे युमथांग की ओर बढ़ती हैं, जहाँ उन्हें प्रकृति का अद्भुत रूप देखने को मिलता है।
यात्रा के दौरान लेखिका को पहाड़ों पर पत्थर तोड़ती हुई महिलाएँ और स्कूल जाने वाले बच्चे भी दिखाई देते हैं, जो अपनी पढ़ाई के साथ-साथ घर के काम और कमाई में भी हाथ बँटाते हैं। उनकी मेहनत और संघर्ष देखकर लेखिका भावुक हो जाती हैं। वे महसूस करती हैं कि प्रकृति की सुंदरता के पीछे इन मेहनतकश लोगों का बहुत बड़ा योगदान है।
यह पाठ हमें प्रकृति के प्रति संवेदनशील बनाता है और उसके सौंदर्य को सहेजने का संदेश देता है। साथ ही, यह उन लोगों के प्रति सहानुभूति जगाता है जो दुर्गम परिस्थितियों में भी जीवन जीते हैं और अपनी मेहनत से दूसरों के लिए मार्ग प्रशस्त करते हैं। पाठ में प्रकृति, आध्यात्मिकता, श्रम और जीवन-दर्शन का सुंदर समन्वय है।