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अज्ञेय - मैं क्यों लिखता हूँ?

कक्षा 10 सीबीएसई - हिंदी (अ)

पाठ का परिचय: अज्ञेय - मैं क्यों लिखता हूँ?

प्रस्तुत निबंध 'मैं क्यों लिखता हूँ?' प्रसिद्ध साहित्यकार सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' द्वारा रचित है। इस पाठ में लेखक ने अपने लेखन के कारणों और प्रेरणाओं को स्पष्ट किया है। यह एक आत्मकथ्यात्मक निबंध है जिसमें लेखक ने बताया है कि कोई भी लेखक क्यों लिखता है और लेखन के पीछे कौन-कौन से आंतरिक और बाहरी दबाव काम करते हैं।

लेखक बताते हैं कि लिखने के कई कारण हो सकते हैं। कुछ लेखक प्रसिद्धि पाने के लिए लिखते हैं, कुछ आर्थिक मजबूरी के कारण, कुछ संपादकों के आग्रह पर, और कुछ अपनी आंतरिक प्रेरणा से। अज्ञेय मुख्य रूप से अपनी आंतरिक विवशता (भीतरी दबाव) को लेखन का प्रमुख कारण मानते हैं। वे कहते हैं कि जब कोई अनुभव या भावना इतनी तीव्र हो जाती है कि उसे व्यक्त किए बिना रहा न जाए, तब लेखक लिखता है। यह एक प्रकार की मुक्ति है, जहाँ लेखक अपने भीतर के दबाव से मुक्त होता है।

लेखक ने अपने अनुभव को हिरोशिमा पर हुए अणुबम हमले के संदर्भ में समझाया है। वे बताते हैं कि हिरोशिमा पर लिखी गई उनकी कविता सीधे उस घटना को देखकर नहीं लिखी गई थी, बल्कि बाद में, जब उन्होंने उस घटना के पीड़ितों को देखा और स्वयं उस दर्द को महसूस किया, तब उनके भीतर का दबाव इतना तीव्र हो गया कि उन्हें लिखना पड़ा। वे एक बार जापान गए थे और हिरोशिमा के पीड़ितों को देखकर उनके मन में गहरी संवेदना जागी। बाद में, जब वे एक पत्थर पर मानव की छाया को देखते हैं, जो अणुबम के प्रभाव से पत्थर पर छप गई थी, तब उन्हें उस त्रासदी की भयावहता का वास्तविक अनुभव होता है। यह अनुभव उनके भीतर एक ऐसी विवशता पैदा करता है कि वे कविता लिखे बिना नहीं रह पाते।

इस पाठ के माध्यम से अज्ञेय ने लेखन के मूल में निहित मानवीय संवेदना, आंतरिक प्रेरणा और सामाजिक उत्तरदायित्व को रेखांकित किया है। वे यह भी बताते हैं कि लेखक केवल बाहरी घटनाओं का वर्णन नहीं करता, बल्कि उन्हें आत्मसात करके अपने भीतर के अनुभवों को व्यक्त करता है। यह पाठ हमें लेखन के गहरे अर्थ और लेखक की भूमिका को समझने में मदद करता है।