कक्षा 10 सीबीएसई - हिंदी (अ)
प्रस्तुत आत्मकथ्यात्मक शैली में लिखा गया संस्मरण 'एक कहानी यह भी' प्रसिद्ध लेखिका मन्नू भंडारी द्वारा रचित है। यह पाठ लेखिका के व्यक्तिगत जीवन, उनके बचपन, किशोरावस्था, पारिवारिक संबंधों और सामाजिक-राजनीतिक परिवेश के साथ उनके साहित्यिक और वैचारिक विकास को दर्शाता है। यह पाठ उनके 'मैं' (आत्म) से 'हम' (समाज) तक के सफर को बखूबी बयाँ करता है।
लेखिका अपने व्यक्तित्व के निर्माण में अपने पिता और शीला अग्रवाल के योगदान को विशेष रूप से रेखांकित करती हैं। उनके पिता एक रूढ़िवादी लेकिन जागरूक व्यक्ति थे, जो लेखिका को घर में ही राजनीतिक चर्चाओं में शामिल करते थे, जिससे उनमें देश की स्थिति के प्रति जागरूकता बढ़ी। हालाँकि, वे लड़कियों के लिए कुछ पारंपरिक सीमाओं को भी मानते थे, जिससे लेखिका और उनके बीच वैचारिक टकराव भी होता था।
शीला अग्रवाल, जो उनकी हिंदी प्राध्यापिका थीं, ने लेखिका के अंदर छिपी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें साहित्य की दुनिया से जोड़ा। उन्होंने न केवल उनके लेखन को दिशा दी, बल्कि उन्हें घर की चारदीवारी से बाहर निकालकर सार्वजनिक गतिविधियों और स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित किया। उनके मार्गदर्शन में लेखिका ने भाषण देना, रैलियों में शामिल होना और विरोध प्रदर्शनों में भाग लेना सीखा, जिससे उनका व्यक्तित्व और भी निखरा।
यह पाठ बताता है कि कैसे एक साधारण लड़की, सामाजिक और पारिवारिक बंधनों को तोड़कर, स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाते हुए और साहित्य के प्रति अपनी रुचि विकसित करते हुए एक प्रमुख लेखिका के रूप में स्थापित होती है। यह नारी स्वतंत्रता, शिक्षा के महत्व, और सामाजिक जागृति के विषयों पर प्रकाश डालता है। पाठ में उस समय के माहौल का भी वर्णन है, जिसमें देशभक्ति और स्वतंत्रता की भावना हर नागरिक में व्याप्त थी।