कक्षा 10 सीबीएसई - हिंदी (अ)
प्रस्तुत पाठ में कवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की दो कविताएँ शामिल हैं: 'उत्साह' और 'अट नहीं रही है'।
यह एक आह्वान गीत है, जो बादल को संबोधित है। बादल एक ओर पीड़ित-प्यासे जन की आकांक्षा को पूरा करने वाला है, तो दूसरी ओर वह कल्पना और नव-जीवन के लिए विप्लव और क्रांति चेतना को संभव करने वाला भी है। कवि बादलों के माध्यम से जीवन में उत्साह, क्रांति और नव-परिवर्तन का आह्वान करता है। वह बादलों से गरजने, बरसने और संसार को नवीन चेतना से भरने का आग्रह करता है। यह कविता सामाजिक क्रांति और परिवर्तन की भावना को दर्शाती है।
यह कविता फागुन (वसंत ऋतु) की मादकता और सौंदर्य को दर्शाती है। फागुन महीने में प्रकृति का सौंदर्य इतना अद्भुत होता है कि वह कहीं समा नहीं पाता। पेड़-पौधों पर नए पत्ते, फूल और सुगंध बिखर जाती है। कवि को फागुन की आभा इतनी मनमोहक लगती है कि वह आँखों में समा नहीं पाती। यह कविता प्रकृति के अनुपम सौंदर्य और उसकी व्यापकता का चित्रण करती है, जहाँ हर जगह सौंदर्य बिखरा हुआ है और वह मन को प्रसन्नता से भर देता है।
दोनों कविताएँ निराला के प्रगतिशील और सौंदर्यवादी दृष्टिकोण को दर्शाती हैं, जहाँ एक ओर वे समाज में परिवर्तन का आह्वान करते हैं, तो दूसरी ओर प्रकृति के सौंदर्य में लीन हो जाते हैं।