अलंकार: परिभाषा और प्रकार
अलंकार का शाब्दिक अर्थ है 'आभूषण' या 'गहना'। जिस प्रकार आभूषण शरीर की शोभा बढ़ाते हैं, उसी प्रकार अलंकार काव्य की शोभा बढ़ाते हैं। यह शब्दों या अर्थों के प्रयोग से काव्य में सौंदर्य और चमत्कार उत्पन्न करते हैं। CBSE कक्षा 10 के पाठ्यक्रम में प्रमुख अलंकार निम्न प्रकार हैं:
प्रमुख अलंकार (CBSE कक्षा 10):
1. श्लेष अलंकार (Pun/Wordplay)
- परिभाषा: जब काव्य में एक ही शब्द का प्रयोग एक बार हो, लेकिन उसके एक से अधिक अर्थ निकलें, तब श्लेष अलंकार होता है।
- पहचान:
- एक शब्द के अनेक अर्थ।
- संदर्भ के अनुसार शब्द के अर्थ बदलते हैं।
- उदाहरण:
"पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुष, चून।"
- यहाँ 'पानी' शब्द के तीन अर्थ हैं:
- मोती के संदर्भ में 'चमक'
- मनुष्य के संदर्भ में 'इज्जत'
- चून (आटा) के संदर्भ में 'जल'
- यहाँ 'पानी' शब्द के तीन अर्थ हैं:
2. उत्प्रेक्षा अलंकार (Metaphor of Conjectural Identity / Poetic Fancy)
- परिभाषा: जब उपमेय (जिसकी तुलना की जाए) में उपमान (जिससे तुलना की जाए) की संभावना या कल्पना की जाए, तब उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। यह उपमा से भिन्न है क्योंकि इसमें संभावना होती है, समानता नहीं।
- पहचान:
- वाचक शब्द: 'मनु', 'मानो', 'जनु', 'जानो', 'मनुज', 'जनुज', 'इव' आदि का प्रयोग।
- उदाहरण:
"सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलोने गात।
मनहु नीलमनि सैल पर, आतप परयौ प्रभात।।"- यहाँ कृष्ण के श्याम शरीर (उपमेय) में नीलमणि पर्वत (उपमान) की और उनके पीले वस्त्रों (उपमेय) में प्रभात की धूप (उपमान) की संभावना की गई है।
- अन्य उदाहरण:
"उस काल मारे क्रोध के, तन काँपने उनका लगा।
मानो हवा के जोर से, सोता हुआ सागर जगा।।"- यहाँ क्रोध से काँपते हुए शरीर (उपमेय) में हवा के जोर से जागते हुए सागर (उपमान) की संभावना की गई है।
3. अतिशयोक्ति अलंकार (Hyperbole)
- परिभाषा: जब काव्य में किसी बात का इतना बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाए कि लोक-सीमा का उल्लंघन हो जाए, यानी वह असंभव या अविश्वसनीय लगे, तब अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
- पहचान:
- किसी भी बात को बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर कहना।
- वास्तविकता से परे वर्णन।
- उदाहरण:
"आगे नदियाँ पड़ी अपार, घोड़ा कैसे उतरे पार।
राणा ने सोचा इस पार, तब तक चेतक था उस पार।।"- यहाँ राणा के सोचने से पहले ही चेतक का नदी पार कर जाने का वर्णन अत्यधिक बढ़ा-चढ़ाकर किया गया है।
- अन्य उदाहरण:
"हनुमान की पूँछ में लगन न पाई आग,
सगरी लंका जल गई गए निशाचर भाग।।"- पूंछ में आग लगे बिना ही पूरी लंका का जलना बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन है।
4. मानवीकरण अलंकार (Personification)
- परिभाषा: जब जड़ (निर्जीव) प्रकृति या अमूर्त भावों (जैसे - खुशी, दुख, क्रोध) को मानवीय क्रियाकलापों, भावनाओं या गुणों से युक्त दिखाया जाए, तब मानवीकरण अलंकार होता है।
- पहचान:
- निर्जीव वस्तुओं या अमूर्त अवधारणाओं को सजीव प्राणियों जैसा व्यवहार करते हुए दिखाना।
- उदाहरण:
"मेघ आए बड़े बन-ठन के, सँवर के।"
- यहाँ 'मेघ' (बादल) निर्जीव होते हुए भी मनुष्यों की तरह 'बन-ठन के, सँवर के' (तैयार होकर) आते हुए दिखाए गए हैं।
- अन्य उदाहरण:
"फूल हँसे कलियाँ मुसकाईं।"
- यहाँ फूल और कलियाँ (निर्जीव) मानवों की तरह हँसते-मुस्कुराते हुए दर्शाए गए हैं।