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वाच्य - कक्षा 10 CBSE बोर्ड

वाच्य: परिभाषा, भेद और परिवर्तन

क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि वाक्य में क्रिया का मुख्य विषय (प्रधानता) कर्ता है, कर्म है या भाव है, उसे 'वाच्य' (Voice) कहते हैं। हिंदी में वाच्य के तीन भेद होते हैं:

वाच्य के भेद:

1. कर्तृवाच्य (Active Voice)

  • परिभाषा: जब वाक्य में क्रिया का मुख्य विषय कर्ता होता है, अर्थात् क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष कर्ता के अनुसार होते हैं।
  • पहचान:
    • कर्ता की प्रधानता होती है।
    • क्रिया सकर्मक और अकर्मक दोनों हो सकती है।
    • कर्ता के साथ 'ने' परसर्ग का प्रयोग हो सकता है या परसर्ग नहीं भी होता है।
  • उदाहरण:
    • राम पुस्तक पढ़ता है। (सकर्मक क्रिया, 'राम' कर्ता पुल्लिंग, एकवचन, 'पढ़ता है' भी पुल्लिंग, एकवचन)
    • बच्चा खेलता है। (अकर्मक क्रिया, 'बच्चा' कर्ता पुल्लिंग, एकवचन, 'खेलता है' भी पुल्लिंग, एकवचन)

2. कर्मवाच्य (Passive Voice)

  • परिभाषा: जब वाक्य में क्रिया का मुख्य विषय कर्म होता है, अर्थात् क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष कर्म के अनुसार होते हैं।
  • पहचान:
    • कर्म की प्रधानता होती है।
    • क्रिया सदैव सकर्मक होती है।
    • कर्ता के साथ 'से' या 'के द्वारा' परसर्ग का प्रयोग होता है।
    • क्रिया का रूप 'जाना' धातु के उचित रूप (जाता है, जाती है, गए, आदि) के साथ जुड़कर बनता है।
  • उदाहरण:
    • राम के द्वारा पुस्तक पढ़ी जाती है। ('पुस्तक' कर्म स्त्रीलिंग, एकवचन, 'पढ़ी जाती है' भी स्त्रीलिंग, एकवचन)
    • मुझसे पत्र लिखा जाता है

3. भाववाच्य (Impersonal Voice)

  • परिभाषा: जब वाक्य में क्रिया का मुख्य विषय न तो कर्ता होता है और न ही कर्म, बल्कि क्रिया का 'भाव' (क्रिया व्यापार) ही मुख्य होता है।
  • पहचान:
    • भाव की प्रधानता होती है।
    • क्रिया सदैव अकर्मक होती है।
    • क्रिया हमेशा पुल्लिंग, एकवचन और अन्य पुरुष में होती है।
    • कर्ता के साथ 'से' परसर्ग का प्रयोग होता है।
    • प्रायः असमर्थता या नकारात्मकता का बोध कराता है।
  • उदाहरण:
    • मुझसे चला नहीं जाता। (क्रिया पुल्लिंग, एकवचन, अन्य पुरुष)
    • बच्चों से खेला जाता है
    • अब सोया जाए

वाच्य परिवर्तन के नियम:

कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य में परिवर्तन:

  • कर्ता के साथ 'से' या 'के द्वारा' का प्रयोग करें।
  • क्रिया को सकर्मक बनाएं।
  • क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष को कर्म के अनुसार रखें।
  • मुख्य क्रिया को सामान्य भूतकाल में बदलकर उसके साथ 'जाना' धातु का उपयुक्त रूप (काल, लिंग, वचन, पुरुष के अनुसार) जोड़ें।
  • उदाहरण:
    • कर्तृवाच्य: मोहन ने लेख लिखा।
    • कर्मवाच्य: मोहन के द्वारा लेख लिखा गया

कर्तृवाच्य से भाववाच्य में परिवर्तन:

  • कर्ता के साथ 'से' परसर्ग का प्रयोग करें।
  • क्रिया को अकर्मक बनाएं।
  • क्रिया को पुल्लिंग, एकवचन और अन्य पुरुष में रखें।
  • मुख्य क्रिया को सामान्य भूतकाल में बदलकर उसके साथ 'जाना' धातु का उपयुक्त रूप (पुल्लिंग, एकवचन, अन्य पुरुष) जोड़ें।
  • प्रायः असमर्थता सूचक (नहीं) शब्द का प्रयोग होता है।
  • उदाहरण:
    • कर्तृवाच्य: बच्चा नहीं हँसता।
    • भाववाच्य: बच्चे से हँसा नहीं जाता